भारत की नई सीमा: म्यांमार का ऐतिहासिक विलय और ग्रेटर मिजोरम का उदय

एक खुशखबरी आप सब लोगों तक पहुँचाने जा रहा हूँ और यह खुशखबरी है कि बहुत जल्द भारत के अंदर एक और नया राज्य जुड़ने जा रहा है, और वह होगा म्यांमार क्षेत्र।
अब पूरी खबर क्या है, इसे जान लेते हैं, क्योंकि यह पहली बार ऐसा नहीं हो रहा है कि किसी अन्य क्षेत्र को भारत में जोड़ा जा रहा हो। इससे पहले 1975 में हम सिक्किम को भी भारत का हिस्सा बना चुके हैं।
तो आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है इस प्लेटफॉर्म पर।
नमस्कार! मेरा नाम है प्रेम कुमार।
अब पूरी जानकारी सुन लीजिए। लेकिन जानकारी को समझने के लिए आपको थोड़ी राजनीतिक समझ होनी चाहिए और धैर्य के साथ इसे सुनना होगा, क्योंकि यह कहानी बहुत ज्यादा मज़ेदार है।


कहानी की शुरुआत:

जब हमारा भारत देश अंग्रेजों के अधीन था, तब म्यांमार को भारत से अलग कर दिया गया था। समय था 1935 और इसी वर्ष यह बंटवारा हुआ था। इस बंटवारे में भारत और म्यांमार, दोनों के साथ एक भेदभाव किया गया।
अब वह भेदभाव किसके लिए था?
कुकी समुदाय के लिए।
मैं फिर से दोहरा रहा हूँ – यह भेदभाव कुकी समुदाय के साथ किया गया था।

कुकी समुदाय को एक पूरे हिस्से में ना रखकर तीन हिस्सों में विभाजित कर दिया गया:

  1. एक हिस्सा भारत के मणिपुर में,
  2. दूसरा बांग्लादेश में,
  3. और तीसरा म्यांमार में।

अब यही एक मंथन चल रहा है कि किसी प्रकार इन सब हिस्सों को फिर से एक साथ मिलाया जाए।
इसी प्रयास का परिणाम हमें वर्तमान में मणिपुर में देखने को मिल रहा है, जहाँ कुकी और मणिपुरी समुदाय के बीच संघर्ष हो रहा है।


वर्तमान स्थिति:

अगर हम वर्तमान की बात करें तो म्यांमार में अब एक अलग जोन बन चुका है, जिसे ‘चिन आर्मी जोन’ भी कहते हैं।
अब यह चिन आर्मी जोन इस स्थिति में आ चुका है कि म्यांमार सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।

यह क्षेत्र सेल्फ डिफेंस फोर्स और सेल्फ गवर्नमेंट के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है।
यहाँ पर रहने वाले लोग, जिन्हें चिन समुदाय कहा जाता है, बांग्लादेश की सीमा से जुड़े हुए हैं।

बांग्लादेश के इस क्षेत्र में चकमा जनजाति रहती है, जो हिंदू धर्म से जुड़ी हुई है।
चकमा जनजाति का भारत के हिंदू समुदाय से गहरा संबंध है।
इस कारण चकमा समुदाय भारत के लिए महत्वपूर्ण है और उन्हें अपने करीब महसूस किया जाता है।


राजनीतिक पहल:

वर्तमान में मणिपुर के गवर्नर का नाम अजय भल्ला है, जबकि मिज़ोरम के गवर्नर का नाम जनरल वी.के. सिंह है।
इन्हीं के नेतृत्व में मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालडुहोमा द्वारा एक मर्जर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इस समझौते के अनुसार:

  • कुकी समुदाय के लोग,
  • चिन आर्मी,
  • और स्थानीय विद्रोही गुट आपस में शांति बनाए रखेंगे।
  • साथ ही, उनके राजनीतिक और आर्थिक संबंध स्थापित किए जाएंगे।

सकारात्मक परिणाम:

यदि म्यांमार का यह चिन आर्मी जोन भारत में शामिल हो जाता है तो:

  1. मणिपुर और मिज़ोरम में शांति स्थापित होगी।
  2. भारत के पास एक बड़ा भूभाग जुड़ेगा, जिससे उसकी भौगोलिक स्थिति मजबूत होगी।
  3. चकमा समुदाय और अन्य हिंदू समूह, जो बांग्लादेश में हैं, भारत में शामिल होकर सुरक्षित महसूस करेंगे।
  4. भारत का आर्मी बेस और सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा।
  5. भविष्य में इसे ग्रेटर मिज़ोरम के नाम से जाना जाएगा।

ऐतिहासिक संदर्भ:

1975 में भी सिक्किम को भारत में शामिल करने के लिए इसी प्रकार का समझौता किया गया था।
तब इंदिरा गांधी की सूझबूझ के कारण यह संभव हो पाया था।

अब इसी तरह चिन आर्मी क्षेत्र को भारत में शामिल करने की तैयारी हो रही है।
यदि यह क्षेत्र भारत में शामिल हो जाता है, तो:

  • मिज़ोरम को ग्रेटर मिज़ोरम का नाम मिलेगा।
  • त्रिपुरा के क्षेत्र को ग्रेटर त्रिपुरा के नाम से जाना जाएगा।
  • भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और अधिक शक्तिशाली बन जाएगा।

अंतिम निष्कर्ष:

यह मर्जर भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा।
इससे भारत को सामरिक, राजनीतिक और आर्थिक लाभ मिलेगा।
चकमा और कुकी समुदाय को भारत में सुरक्षा और नागरिकता का लाभ मिलेगा।
क्या आप भी मानते हैं कि यह निर्णय भारत के लिए फायदेमंद होगा?
कमेंट करके अपने विचार ज़रूर बताइए।

जय हिंद! मेरे साथियों!

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